Navratri 2018: शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं. शरद ऋतु के आश्विन माह में आने के कारण इन्हें शारदीय नवरात्रों का नाम दिया गया है. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. शारदीय नवरात्रों का समापन दशमी तिथि को विजयदशमी के रूप में मना कर किया जाता है.
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के नौ रूपों में माता चंद्रघंटा की पूजा होती है. दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और इनके दस हाथ हैं. चंद्रघंटा मां दुर्गा का तीसरा रूप है. इसका अर्थ है चंद्रमा के आकार वाले घंटे को धारण करने वाली. वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं. सिंह पर सवार दुष्टों के संहार के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. इनके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं.
1पूजन विधि

तीसरे दिन की पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता, तीथरें, योगिनियों, नवग्रहों, दशदिक्पालों, ग्राम और नगर देवता की पूजा अराधना करें. फिर माता के परिवार के देवता, गणेश, लक्ष्मी, विजया, कार्तिकेय, देवी सरस्वती और जया नामक योगिनी की पूजा करें. फिर देवी चन्द्रघंटा की पूजा अर्चना करें.
2मां चन्द्रघंटा का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
3उपासना का मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता, प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता.
4देवी पूजा का महत्व

नवरात्रि में तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का काफी महत्व है. इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.